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तिहत्तर / प्रमोद कुमार शर्मा
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जुद्ध है
बडो भारी जुद्ध है
माणस मार विद्यावां सरजीवण हुयगी
दुस्मी गायां री जंगळ में सीवण हुयगी
किणी ढाळै आप संवेदन रुखाळोगा
या इयां ई मंचां ऊपर थूक उछाळोगा
जदकै भाखा ई
-असुद्ध है।
जुद्ध है
बडो भारी जुद्ध है।