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अेक सौ अठारै / प्रमोद कुमार शर्मा

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पाप अर पुन्न
दोन्यूं देखै भाखा
साखा ऊपर साखा
कळजुग जकी खोल राखी है
मायड़ भाखा बांनै
जनमां तांई तोल राखी है
बा भूमिजा!
आपैई लेखो लिखसी
कदैई तो ग्यान भाखा रो दिखसी
म्हांनै उणी बगत री अडीक है
अै कवितावां तो बठै तांई पूगण री लीक है।