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अेक सौ तीस / प्रमोद कुमार शर्मा

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लीर-लीर हूग्या गाभा
-राम
साथै गाम तो मिल्यो नीं
पण गम मिलग्यो
अर साथै मिलगी रम
-थम
थोड़ो थम भाया
भाखा री सूख री है काया
कीं सत बपरा
नींतर डस ल्यैगी माया

सबद माया रो तोड़ है
नींतर पछै सबद री के लोड़ है?