भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अेक सौ उणचाळीस / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:29, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ना-ना करी
जद सांकळ सबद री
थारा पग धोळै दोपारै बांधसी
रांधसी जद करमां रै कड़ावै मांय
कमी ना राखी भलांई चढावै मांय

पण :
भाखा रा देवता राजी नीं हुवैला
उण बगत थारो सत ई थांनै तारसी
बठै पंडत-काजी नीं हुवैला।