भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अेक सौ बयांळीस / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:32, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता करूं
बैठ्यो अेकलो
-राम अर सीता करूं
इण चा-पाणी रै टैम मांय
देई-देवता रै भैम मांय

कांई ठा :
म्हांनै भी आंटो आज्यै
पगां सूं उभाणो होवूं
अर हेटै कांटो आज्यै
कांटां रा
-सुभीता करूं
-राम-सीता करूं
कविता करूं।