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बारह / प्रमोद कुमार शर्मा

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बडो ई निरमळ है
-कमळ है
स्यांत झील रो, तिरै हंसा री चाल
सबद सांवरो है, नित रा करै कमाल

सरणा हूज्या रे मना!
-काळ करै सवाल
सुरता नैं साधलै
सबद साचो
-अमल है।
-कमल है।