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ककरों चुहय छानी, भीतिया गिरे ककरो / कोदूराम दलित
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ककरों चुहय छानी, भीतिया गिरे ककरो,
ककरो गिरे झोपड़ी कुरिया मकान हर,
सींड़ आय, भुइयां-भीतिया-मन ओद्य होयं,
छानी-ह टूटे ककरो टूटे दूकान हर ।।
सरलग पानी आय-बीज सड़ जाय-अड,
तिपौ अघात तो भताय बोये धान हर,
बइहा पूरा हर बिनास करै खेती-पबारी,
जिये कोन किसिम-में बपुरा किसान हर ?