भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ककरों चुहय छानी, भीतिया गिरे ककरो / कोदूराम दलित

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:59, 8 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कोदूराम दलित |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatChhatt...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ककरों चुहय छानी, भीतिया गिरे ककरो,
ककरो गिरे झोपड़ी कुरिया मकान हर,
सींड़ आय, भुइयां-भीतिया-मन ओद्य होयं,
छानी-ह टूटे ककरो टूटे दूकान हर ।।

सरलग पानी आय-बीज सड़ जाय-अड,
तिपौ अघात तो भताय बोये धान हर,
बइहा पूरा हर बिनास करै खेती-पबारी,
जिये कोन किसिम-में बपुरा किसान हर ?