भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मजदूर किसान अभी भारत के / गिरिवरदास वैष्णव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:00, 8 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिवरदास वैष्णव |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मजदूर किसान अभी भारत के
एक संगठन नई करिहौ ।
थोरिक दिन मा देखत रहिहौ ,
बिन मौत के तुम मरिहौ ।।
राज करइया राजा हर तो
अब व्यापार करे लागिस ।
सब चीज ला लूटव -तीरव ,
अतके ध्यान धरे लागिस ।।