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मैं जटिल वाक्यों में / प्रेमशंकर शुक्ल
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मैं जटिल वाक्यों में
पानी का गुण मिलाना चाहता हूँ
जो दौड़ता है प्यास की तरफ
जो रंगो में बोलता है
लहराती झील के लिए
भाषाओं में रखना चाहता हूँ
माननीय जगह
जिससे लिपियों में तरलता हो
सरलता हो सम्वाद में
झील एक संस्कृति है
जो हर हृदय के पानी में
ज़िन्दगी के मानी को
मान देती रहती है
मैं चाहता हूँं
झील कहूँ तो जुड़ा जाय तपती हुई आँख
और निग़ाह को लगे कि पानी से उसका रिश्ता है
नाभिनाल