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उड़ो / सुधीर सक्सेना
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उड़ो, आसमान में
जैसे उड़ती है पतंग,
चढ़ो, हवा के हिंडोले पर पतंग की तरह
लड़ो, जैसे लड़ते हैं पेंच
उड़ो और जुड़े रहो ज़मीन से
जैसे डोर से जुड़ी रहती है चरखी से पतंग
पतंग बन कर उड़ो
ताकि कटो भी तो
गिरो कहीं पेड़ पर
लड़कों के बेताब झुण्ड में
अथवा किसी मुंडेर पर
फिर उड़ने के वास्ते ।