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सिक्किम / सुधीर सक्सेना
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बादल उतने ही कोमल हैं
जितना कोमल है हमारा प्यार,
बादल उतने ही ऊँचे हैं,
जितनी ऊँची हैं हमारी इच्छाएँ,
बादल उतने ही ख़ूबसूरत हैं
जितने ख़ूबसूरत हैं हमारे सपने
यहाँ ढेर सारे बादल हैं
यानि ढेर सारा प्यार, ढेर सारी इच्छाएँ
और ढेर सारे सपने
यहाँ
अचल मनुष्यों की तरह
कतार में खड़े हैं पहाड़
और गुलूबन्द और दुशालों की तरह
उनसे लिपटे हुए हैं बादल ।