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छांगू झील / सुधीर सक्सेना

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भोपाल-ताल के भाग्य में है

भोज की बेटी

और भोपाल की पनिहारिन

होने का गर्व


चिलका के भाग्य में है

सैलानी पंछियों का आव्रजन

और उनकी सुरम्य क्रीड़ा का मोद


नीरव घना के भाग्य में है

पामीर के पार से आए

खगों का कलरव-कोष


साम्भर के भाग्य में है

स्वाद रचने का अनिर्वच-सन्तोष,


मगर दूर

हिमालय की गोद में बसी

छांगू के भाग्य में है

हर साल पहाड़ों के दर्द से जमने

और फिर आँसुओं की तरह पिघलने का सुख ।


न जाने

छांगू

मानुषी है

या झील ?