Last modified on 28 दिसम्बर 2007, at 02:05

हर तरफ धुआं है / धूमिल

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:05, 28 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धूमिल }} हर तरफ धुआं है<br> हर तरफ कुहासा है<br> जो दांतों और ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है

अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है-
तटस्थता। यहां
कायरता के चेहरे पर
सबसे ज्यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए, सबसे भद्दी
गाली है

हर तरफ कुआं है
हर तरफ खाईं है
यहां, सिर्फ, वह आदमी, देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है