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मेरठ जिले के मेरे भातड़िए/ खड़ी बोली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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भात का गीत
मेरठ जिले के मेरे भातड़िए ।
बीरा सब-सब भाती आ जइयो
मेरै एक न आइयो भावजिया ।
ओब्बो सब-सब भाती रहै गये
तेरी पीछै से आ गई भावजिया ।
बीरा सब-सब बरतन ले आइयो
बीरा सब-सब गहणे ले आइयो
मेरै एक न लाइयो गुँठड़िया
ओब्बो सब-सब गहणे भूल आया
मेरी जेब मैं आ गई गुँठड़िया ।
बीरा सब-सब कपड़े ले आइयो
मेरै एक न लाइयो धोतरिया ।
ओब्बो सब-सब कपड़े भूल आया
मेरी गठड़ी मैं आ गई धोतरिया ।
बीरा सब-सब बरतन ले आइयो
मेरै एक न लाइयो बाटड़िया ।
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1-ओब्बो=बहिन
2-गुँठड़िया= अंगूठी
3-धोतरिया=घटिया किस्म की खद्दर
4-बाटड़िया = बड़ी कटोरी