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गीत-2 / केदारनाथ अग्रवाल

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धीरे उठाओ मेरी पालकी

मैं हूँ सुहागिन गोपाल की

बेला है फूलों के माल की

फूलों के माल की--

धीरे उठाओ मेरी पालकी ।


धीरे उठाओ मेरी पालकी

मैं हूँ बँसुरिया गोपाल की

बेला है गीतों के ताल की

गीतों के ताल की--

धीरे उठाओ मेरी पालकी ।


धीरे उठाओ मेरी पालकी

मैं हूँ सुरतिया गोपाल की

बेला है मनसिज के ज्वाल की

मनसिज के ज्वाल की--

धीरे उठाओ मेरी पालकी ।