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जग में मरकर, तुममें जीवन / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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 (राग माँड़-ताल कहरवा)

 जगमें मरकर, तुममें जीवन।
 पान्नँ मैं, प्यारे जीवनधन!
 लीला ललित चले अति शोभन।
 बनूँ मैं सुन्दर लीलागार।
 तुहारा हो पूरा अधिकार॥
 रोना तजकर सदा हँसूँ मैं,
 प्रेम-रज्जुसे तुम्हें कसूँ मैं,
 तुममें ही, बस, नित्य बसूँ मैं,
 सुखी हो मुझसे सब संसार।
 तुहारे यशका हो विस्तार॥