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रस्ते में अक्सर मिलता हूँ / रविकांत अनमोल
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रस्ते में अक्सर मिलता हूँ
मैं मुश्किल से घर मिलता हूँ
जो मुझसे झुक कर मिलते हैं
मैं उनसे झुक कर मिलता हूँ
रोता हूँ तो तन्हाई में
लोगों से हँसकर मिलता हूँ
वो मुझसे कमतर मिलते हैं
मैं उनसे अक्सर मिलता हूँ
कुछ ऐसी तहज़ीब मिली है
महमां से उठकर मिलता हूँ
बड़े बुज़ुर्ग दुआ देते हैं
पैरों को छूकर मिलता हूँ
जंगल का अनमोल फूल मैं
शहरों में कमतर मिलता हूँ