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ईश-विरोधी धर्म-विरोधी / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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  (राग पटदीप-ताल त्रिताल)

 ईश-विरोधी धर्म-विरोधी भाव जायँ सब भाग।
 माँ सुलगा दो हृदय देशमें श्याम-विरहकी आग॥
 सबकी सेवामें हो, सबकी उन्नतिमें अनुराग।
 पर अवनति-‌अपकार अशुभका जीवनमें हो त्याग॥
 ईश-विरोधी वस्तुमात्रमें मनमें रहे विराग।
 सदा रहे आनन्द-शान्ति शाश्वत, हो शुचि बड़भाग॥
 ज्योतिर्मय हो जीवन सारा, मिट जाये जग-राग।
 प्रभु-पद-प्रेम पुनीत शीघ्र हो उठे मधुरतम जाग॥