भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मंगलसूत्र / अविनाश मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:33, 1 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अविनाश मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह वास्तविक निकष है एक तय निष्कर्ष का
या मुझे अनाकर्षित करने की कोई क्षमता
मर्यादा उसका प्रकट गुण है
और कामना तुम्हारा
मैं अगर कोई सूत्र हूँ
तब मेरा मंगल तुम पर निर्भर है