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पायल / अविनाश मिश्र
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वह शोर और दर्द जो उठ रहा था
उनसे नहीं उनके बिछड़ जाने से उठ रहा था
कितनी सूनी और कितनी अधूरी थी इस बिछुड़न में
तुम्हारी चाल
बेताल