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मार देखो / केदारनाथ अग्रवाल
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मार देखो
मौन टूटेगा न घन से
वह पला है धैर्य बन के
इस हृदय में
- और तन में
साँस में
- मेरे नयन में ।
मार देखो
गीत टूटेगा न घन से
वह बना है प्राणपन से
दाह-दव में शुद्ध मन से
नेह के
- नाते वचन से ।