भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नीम के फूल / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:30, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


नीम के फूल

दूध की फुटकियों-से झरे

मुलायम-मुलायम,

कठोर भूमि पर बिखरे;

जैसे कोई

प्यार से शरीर स्पर्श करे,

दुखों से तनी हुई

नसों की थकान हरे ।