भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ घटना कुछ क्षण होते हैं / जगदीश पंकज

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:48, 14 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पंकज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ घटना कुछ क्षण होते हैं
जो सारा जीवन होते हैं

किसको फेंकें किसे सहेजें
सपने बिखरे कण होते हैं

लोकतन्त्र में मतदाता तो
मत देने को गण होते हैं

किसको ओढें, किसे बिछाएँ
वे जो नंगे तन होते हैं

अपनी-अपनी राम कहानी
अपने गीत-भजन होते हैं