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कुछ घटना कुछ क्षण होते हैं / जगदीश पंकज

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कुछ घटना कुछ क्षण होते हैं
जो सारा जीवन होते हैं

किसको फेंकें किसे सहेजें
सपने बिखरे कण होते हैं

लोकतन्त्र में मतदाता तो
मत देने को गण होते हैं

किसको ओढें, किसे बिछाएँ
वे जो नंगे तन होते हैं

अपनी-अपनी राम कहानी
अपने गीत-भजन होते हैं