भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम बच्चे / गिरीश पंकज
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:43, 16 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरीश पंकज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सबके घर में दीप जलाएँगे, हम बच्चे,
हर आँगन ख़ुशियाँ बरसाएँगे, हम बच्चे ।।
सभी एक हैं हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई,
सबको जा-जाकर समझाएँगे, हम बच्चे ।
मेहनत और सच्चाई से ही देश बढ़ेगा,
देशभक्ति के गीत सुनाएँगे, हम बच्चे ।
सब के घर में दीप जलाएँगे, हम बच्चे ।
हर आँगन ख़ुशियाँ बरसाएँगे, हम बच्चे ।।