भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अच्छी-अच्छी बातें सुन / गिरीश पंकज
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:48, 16 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरीश पंकज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अच्छी-अच्छी बातें सुन
टिक, टिक, टिक, टिक
टुन, टुन, टुन ।
अच्छी-अच्छी बातें सुन ।
जो बच्चें पढ़ते हैं भैया,
आगे ही बढ़ते हैं भैया ।
वही सदा रहते हैं पीछे,
जो सबसे लड़ते हैं भैया ।
बात है सच्ची, इसको गुन ।
टिक, टिक, टिक, टिक
टुन, टुन, टुन ।
अच्छी-अच्छी बातें सुन ।
क ,ख, ग, घ बोलो जी,
खेलो-कूदो-डोलो जी ।
रोज सुबह जल्दी उठ जाओ,
रात को जल्दी सो लो जी ।
देखो कहता है चुन-मुन ।
टिक, टिक, टिक, टिक
टुन, टुन, टुन ।
अच्छी-अच्छी बातें सुन ।