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वर्षा रानी / गिरीश पंकज
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नाच रही है वर्षा रानी,
यहाँ-वहां बस पानी-पानी ।
बिजली कड़के ज़ोर से,
डर लगता है शोर से ।
लेकिन मोर नाचता कैसे,
चलो, पूछ लें मोर से ।
या बतलाएगी फिर नानी,
नाच रही है वर्षा रानी ।।