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तीन दिनों तक / भारत यायावर

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तीन दिनों तक

कहाँ रहे भैया सूरज ?


तीन दिनों तक बादल जी ने

टप-टप आँसू बरसाए

तीन दिनों तक चिड़ियों के घर

रहे भींगते

क्या खाते ?

तीन दिनों तक गाँव काँपता रहा

ठण्ड से बेचारा


कुछ घण्टों के लिए कहीं से

झाँक दिए होते तो शादी भी हो जाती

यों सियार की


इतना लापरवाह कभी भी नहीं रहे तुम

भैया सूरज

तीन दिनों तक कहाँ रहे तुम ?


हरिया का घर

कितना है बीमार !

बेचारा भूखा-प्यासा

तीन दिनों तक पड़ा रहा लाचार


सड़क बेचारी क्या कर पाती

कादो-पानी से लथपथ काया

गाँव-जवार की बनी हुई अभिशाप

तुम्हारी राह देखती

भैया सूरज तीन दिनों तक


खलिहानों में पड़े

धान के गट्ठर

देखो भींग-भींग कर

गमक रहे हैं तीन दिनों से

भैया सूरज

आज तुम्हारे आने से वे चमक रहे हैं

चहक रहे हैं पक्षी

पौधे झूम रहे हैं

भैया सूरज


तीन दिनों तक कहाँ रहे तुम

भैया सूरज ?