भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कुर्सी / राजा पुनियानी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:57, 30 अक्टूबर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजा पुनियानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)
बैठने वाले का
इन्तज़ार कर रही थी
बैठी कुर्सी
एक दिन अचानक
वह तो चल पड़ी
क्या करेगा
उस पर बैठने वाला अब ?
मूल नेपाली से अनुवाद स्वयं कवि द्वारा