भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हनुमान अष्टक १ / अष्टक

Kavita Kosh से
Kailash Pareek (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:49, 6 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी |अनुवादक= |संग्रह=छन्द प्रवाह सेसाँचा:KKCatDharmik lok Rachanayen/Ashtak

                  हनुमत अष्टक
                 शिवदीन राम जोशी 

1 सुख सम्पति दायक, राम के पायक, सत्य सहायक संकट हारी। ध्यान दे ज्ञान दे शक्ति दे भक्ति दे, मुक्ति सामिप्य दे शरण तिहारी। रघुनन्दन के प्रिय प्रेमी तुम्ही, हनु दर्शन दे हमको शुभकारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 2 लंकेश को गर्व गलाय दियो, मैं सुनि श्रवणा तुम लंक को जारी। लिन्ही सिया सुधि शीध्र महाबली, सत्य कथा तुम्हरी बलिहारी। दुष्ट हने क्षण एक ही में प्रभू, संतन के सब कारज सारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 3 बेर ही बेर ये टेर रह्यो हनु, फेर रह्यो इक माला तिहारी। मंत्र न तंत्र न जानू कछु, उर प्रेम भयो लखि मूरत थारी। सत संगत की पल एक भली, मिली हैं हमको हनु की बलिहारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 4 श्रीराम ही राम रटो निशि-वासर, भक्त महाबली हो व्रत धारी। लोक बना परलोक बने, सनमारग दे हनु सत्य विचारी। सियाराम से नेह-सनेह रहे, उर प्रमे बढ़े प्रभु उमर सारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 5 फल चार मिले उर फूल खिले, षुभ संत मिले खिलीहैं फुलवारी। मांगत दान दे, ये वरदान दे, बीरबली महिमा तव न्यारी। दे धन धाम व वाम सुता सुत, मीत पुनीत दे हे ब्रह्मचारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 6 जयकार तेरी सब लोकन में,यश छाय रह्यो हनु की बलिहारी। वरणन कौन करे यश को, लख के महिमा वह शारद हारी। शेष गणेश महेश दिनेश , सभी यश गावत हैं गुणकारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 7 श्री राम बिराज रहे घट में, बजरंग बली सबसे बलकारी। हनुमान सिवा नहीं और कोउ, दुःख द्वन्द प्रपंच हनु भयहारी। स्वागत है सर्वत्र प्रभु, सब जानत हैं जग के नर नारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी। 8 मंत्र षडाक्षर सिद्ध सदा, सर्वत्र करें हनु पूजन थारी। तव द्वार से कोई न खाली गया, नरनारी की बिगरी तूही सुधारी। शिवदीन की आस भरि भरी हैं, कबहूँ नहीं व्याप सकै भव घ्यारी। मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी।