भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैंने अपराध किया है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:40, 5 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवा...)
मैंने अपराध किया है
चांद को चूमकर लजा दिया है
दंड दो मुझे
- केश-कुंज के तमांध में
- क़ैद रहने का
(रचनाकाल : 30.05.1964)