भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घोंसले / मणि मोहन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:26, 6 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणि मोहन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सिर्फ़ तिनकों के सहारे
नहीं बनते घोंसले -
देखो ज़रा ग़ौर से
कुछ टूटे हुए पंख भी
दिख जाएँगे
यहाँ-वहाँ ।