भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पानी / मणि मोहन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:37, 6 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणि मोहन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मीलों दूर से
किसी स्त्री के सिर पर बैठकर
घर आया
एक घड़ा पानी....
प्रणाम
इस सफ़र को
इन पैरों को
इनकी थकन को
और अन्त में
प्रणाम
इस अमृत को ।