भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जश्न / मणि मोहन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:45, 6 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणि मोहन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कुछ कहा मैंने
कुछ उसने सुना
फिर धीरे-धीरे
डूबती चली गई भाषा
सांसों के समंदर में..
हम देर तक
मनाते रहे जश्न
भाषा के डूबने का ।