भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दो मिनट का मौन / मणि मोहन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 6 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणि मोहन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
यदि कोई पूछे मुझसे
ज़िन्दगी के सबसे मुश्किल काम के बारे में
तो मैं कहूँगा
किसी शोकसभा में शामिल होकर
दो मिनट का मौन रखना
मेरे लिए सबसे कठिन काम है ...
यूँ मैं घण्टों मौन रह सकता हूँ
कभी किसी को सुनते हुए
तो कभी अपने आस-पास के
जाने अनजाने संगीत को सुनते हुए
मौन रह सकता हूँ मैं
सिर्फ दिल की धड़कनों को सुनते हुए भी
पर ...यह... दो मिनट का मौन
बहुत भारी पड़ता है मुझ पर
आँखें बन्द करने के कुछ सेकेण्ड बाद ही
लगता है जैसे
भरभरा कर गिर जाऊंगा धरती पर
सच कहूँ .....
मुझसे नहीं हो पाती प्रार्थना
इस तरह ।