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देश से एकालाप / विप्लव ढकाल

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तुम्हारी प्यास मिटाने को
मैंने अपना ख़ून दिया
तम्हारी नग्नता ढँकने को
मैंने अपनी खाल दी
जब तुम भूखे थे
मैंने शरीर का माँस दिया
तुम्हें अमर रखने को
मैने अपना इतिहास दिया
मेरा ख़ून, खाल, माँस और इतिहास
कहाँ फेंक दिए तुमने ?
कहाँ फेंक दिए ?
और आज फिर क्यों तुम
मेरे बेटे के आगे
इस तरह नंगे
और खाली हाथ खड़े हो ?
मुझे गुमनाम शहीद बनाने वाले देश
यह प्रश्न
मैं तुमसे पूछ रहा हूँ ।