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जोत नई उकसाओ / त्रिलोचन

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जोत नई उकसाओ पैर बढ़ाओ


देश देश की जनता आगे आई

देश देश की ध्वजा साथ फहराई

देश देश की गीत धार लहराई

पनी ध्वजा उठाओ गान गुँजाओ


देश देश की स्वतंत्रता मिल जाए

देश देश को प्राणशक्ति मिल जाए

देश देश मे मनुष्यता खिल जाए

नई मशाल जलाओ हर्ष मनाओ


कहीं एक भी दुःख न रहने पाए

अपना सत्य नागरिक कहने पाए

द्वंद्वरहित धारा में बहने पाए

इतना कर दिखलाओ स्वर्ग सजाओ


नई उषा आई है आज जगाने

हृदय हृदय में फूल नवीन लगाने

सब मनुष्य अपने हैं, नहीं बिराने

मन को शुद्ध बनाओ आगे आओ


(रचना-काल - 06-11-48)