Last modified on 6 जनवरी 2008, at 05:50

न जाने हुई बात क्या / त्रिलोचन

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:50, 6 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन |संग्रह=सबका अपना आकाश / त्रिलोचन }} न जाने हुई...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

न जाने हुई बात क्या

मन इधर कुछ बदल – सा गया है


मुझे अब बहुत पूछने तुम लगी हो

उधर नींद थी इन दिनों तुम जगी हो

यही बात होगी

अगर कुछ न हो तो कहूँ और क्या

परिचय पुराना हुआ अब नया है


वही दिन, वही रात, सब कुछ वही है

वही वायु, गंगा सदा जो बही है

मगर कुछ फरक है

जिधर देखता हूँ नया ही नया

मुझे प्रिय कहाँ जो तुम्हारी दया है


सुनो आदमी हर समय आदमी है

न हो आदमी तो कहो क्या कमी है

यही मन न चाहे

कभी आ सकेगा कहीं स्नेह क्या

यही बात तो जिंदगी की हया है


(रचना-काल - 11-1-51)