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मूरख के लानें समझा रये / महेश कटारे सुगम

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मूरख के लानें समझा रये
भैस के आंगें बीन बजा रये

लातन के जे भूत समझ लो
बातन सें तुम इनें मना रये

रातन में आकें धोके सें
मूड़ काट कें जे लै जा रये

हिम्मत तौ नईंयाँ लड़वे की
दुक-दुक कें घुस पैठ करा रये

मार काट करवे के बदलें
दुनिया भर सें पइसा खा रये

लै कें आड़ धरम की देखौ
मरवे खौं मौड़ा पोंचा रये

नाम करत बदनाम खुदा कौ
सुगम साँड़ बन कें गर्रा रये