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11 से 20 / कन्हैया लाल सेठिया

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11.
चरखो सचो शस्त्र, मिटै गरीबी देश री
छोड़ विदेशी वस्त्र, रेजी धारो रमणियां।

12.
भैंस समुख संगीत, त्यों मूरख नै समझावणो
भलो बठै ही गीत, जठैं रसिक हैं रमणियां।

13.
पल राजा पल रंक नर पींडी रो मोल के ?
रावण राजा लंक रेत में रमणियां।

14.
के निर्धन धनवान, चाकर सै करतार रा
धन यौवन अभियान, रंच न कीजै रमणियां।

15.
सुख में गावो गान, क्यों दुख में रोवो भला
सुख दुख एक समान, रमो सदा ही रमणियां

16.
पर निन्दा हुुँशियार, मूंडै मिठ बोला घणाँ
इसड़ा नर बदकार, रहो न साथै रमणियां।

17.
बीती ताहि बिसार, आगैरी सुध राख तू
घबड़ा कर मझधार, रूळ जाज्यो मत रमणियां।

18.
राख ताकड़ी तोल, कर खरचो पैदा जिस्यो
राख जमा री ओळ, रोकड़ बाकी रमणियां।

19.
बसन्त में कष्मीर, गरमी में षिमलो भालो
सुखकर बीकानीर, रूत सावण री रमणियां।

20.
करै अैश अराम, मिनख हुया सै पांगळा
बण्या ठौड रा ठाम, रही न हिम्मत रमणियां।