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पद 81 से 90 / कन्हैया लाल सेठिया

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81.
मानस मोती चुगणियां
हंस बसै उतराध,
फिरता फिरै मुसाण में
भखता काग सराध !

82.
बन्द पींजरै बापड़ो
रटै सुवटो राम,
बो निसपापी पण पड़ै
पाप्यां कानां नाम !

83.
कसतूरी मृग नाभ में
मोती खारै नीर,
चन्नण उगै उजाड़ में
सबद गहन गंभीर !

84.
लैरां भागै रैण दिन
बिसराई कुळ काण,
आपो भांगै कद समद
सींव अटळ सत पाण !

85.
च्यार पोर सूरज तपै
पख भर चांद उजास,
चनेक पळको बीज रो
आतम दिवलो चास !

86.
पैल हुयो परमाद में
पड़यो करै असळाक,
मदगैला गेलै बगै
अणचिंत्यो बजराक !

87.
खोद ऊंदरा बिल करै
जा बैठे परडोट,
भैंस धणी बो हाथ में
हुवै जकै रै सोट !

88.
सरप भाज बिल में बड़यो
लीक छूटगी लार,
बैरी बणग्यो जीव री
काया रो आकार !

89.
बाथ घाल ली मोहवष
बा ही बणगी हुण,
हूवो घड़ो रीतो भरयो
भुवैं एक सी भूण !

90.
रामधणख रै छन्द में
बादळ रो अनुवाद,
जाणै आभै में खिली
धरती री फुलवाद !