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दल-बंधा मधुकोष-गंधी फूल / केदारनाथ अग्रवाल
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दल-बंधा मधुकोष-गन्धी फूल
मन्दिर मौन का है,
- रूप, जिसकी अंजली से,
काल की साँकल हटा कर खुल गया है ।
रश्मियों का राग-रंजित
- रथ यहीं पर रुक गया है ।
गन्ध पीने के लिए
- नभ भी यहाँ पर झुक गया है ।