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चम्पई आकाश तुम हो / केदारनाथ अग्रवाल
Pratishtha
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चम्पई आकाश तुम हो
हम जिसे पाते नहीं
बस देखते हैं ;
रेत में आधे गड़े
आलोक में आधे खड़े ।