भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भाषण / रामजी लाल घोड़ेला 'भारती'
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:51, 23 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामजी लाल घोड़ेला 'भारती' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
चार जणा भैळा देखतां ई
झाड़ देवै आपरो भाषण
घणी खैचळ पछै ई
मिलै कोनी चाटण।