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आम आदमी / राजू सारसर ‘राज’
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बनराय में
बांस रा रूंखां रै
आपसरी में रगडका
खाय’र
लाग्योड़ै बड़वानळ में
ज्यूं बळ जावै
बापड़ी निबळी दूब
बिंयां रा बिंयां ई बळै
आम आदमी रा सुपना
सता रै रगड़कां सूं
लाग्यौडी लाय में
कद पण ढळकै
किणीं री आंख्यां सूं
दो आंसू।