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चरित्र सब चालते हैं / केदारनाथ अग्रवाल

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चरित्र सब चालते हैं

अपनी चलनी में

सोना निकालने के लिए


मिट्टी निकलती है मिट्टी

सोने के भाव
न बिकी


(रचनाकाल : 14.09.1967)