भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
‘हटके’ / संजय आचार्य वरुण
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:08, 25 फ़रवरी 2015 का अवतरण
म्हारै बखत रा लोग
पढ्योड़ लिख्योड़ा
डेढ़ हुसियार
सब रा सब
बणना चावै
भीड़ सूं न्यारा
करणौ चावै
‘कुछ हटके’
म्हैं बैठ्यो हूँ
एक पुस्तकालय में
इत्तां मिनखां थकै
पसर्योड़ौ है
सचेत सरणाटो।
सब बांच रह्या है
बिना छपीं
सादै कागदां री
किताब्यां
बड़ै मन चित्त सूं।