Last modified on 18 मार्च 2015, at 15:42

अंक गणित / दीनदयाल शर्मा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:42, 18 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> अंग्रे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अंग्रेज़ी, हिन्दी, सामाजिक
और विज्ञान समझ में आए
अंकगणित जब करने बैठूँ
सारा दिमाग जाम हो जए ।

सरल जोड़ भाग गुणा घटाओ
कर लेता हूँ जैसे-तैसे
घुमा-घुमा कर पूछे कोई
उसको हल करूँ मैं कैसे ?

इतना बड़ा हो गया हूँ मैं
अंकगणित में अब भी ज़ीरो
बाकी सारे काम करूँ झट
दुनिया माने मुझको हीरो ।।