भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमरीका / विचिस्लाव कुप्रियानफ़
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:26, 12 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=विचिस्लाव कुप्रियानफ़ |संग्रह=समय की आत्मकथा / विच...)
|
सागर के उस किनारे पर
रहने वाले
कुछ
अदृश्य लोग
शोर कर रहे हैं
बहुत ज़्यादा