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भैसी निकरी भंवरकली से / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भैसी निकरी भंवरकली से छाहुर लिहिन बेराय
दाम-दाम दे माता भैइसी बेसाहन जांव
मरि ना गये तै अहिर के बालक मरिउ न तोरे ज्ञान
छेरी भेड़ी का दाम नहीं घर तै भैइसि बेसाहन जाव
दाम दाम दे माता तै रे हीरा कनी भंजाव
उइं भइसी ना जान्या माता उनखे ठकुरौ लिखे लिलार
गांव का राजा बड़ा शिकारी मारइ सांभर मिरगी रोझ
लोट डबर से पड़िया निकरी राजन लेय बेराय
भूरी भूरी भंइसी चकही चकही सींग
वहै खोर नित निकरै लाग रजन कै लागइ डीठ
कहना कै तै अहिरा आहे काह नाव है तोर
धौ तो चरू ये घर की आही धौ तै तकै बड़खेर
गंगातीर केर अहिरा आहेन छाहुर नाम हमार
दूं तौ चरू आही घर कै बेढ़न जायं बड़खेर